नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!... दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥ श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa